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नीरज – एक दैदीप्यमान कवि और गीतकार

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गोपालदास सक्सेना जिन्हें विशेषतया हम सब ‘नीरज’ नाम से जानते हैं। एक ऐसा सुविख्यात व्यक्तित्व जो कवि, शिक्षक और लेखक सबमें सर्वोपरि है। नीरज की कवितायेँ हिंदी साहित्य के लिए एक ऐसा दीपक हैं जिसने पूरे साहित्य को रौशन किया है। उन्होंने हिंदी साहित्य के साथ-साथ हिंदी फिल्म जगत में भी अपना उत्कृष्ट योगदान दिया है। आज 4 जनवरी को उनका जन्म दिवस है, आज ही के दिन 1924 को इटावा (उत्तर प्रदेश ) में उनका जन्म हुआ था ।
अलीगढ के धर्म समाज कॉलेज में वे काफी समय तक प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत रहे। उनकी कविताओं के साथ ही उनका काव्यपाठ भी हिंदी जगत के लिए बहुत गरिमापूर्ण रहा। नीरज जब भी मंच पर कविता पाठ करते तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने उन्हें ‘हिंदी की वीणा’ का नाम दिया था । नीरज को उनकी गरिमापूर्ण छवि के साथ साहित्य और फिल्म जगत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे अलंकारों से सम्मानित किया गया ।
” जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना, अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए” नीरज की एक ऐसी कविता है जिसने कविता के शिखर पर मानों सच में एक दीपक जलाया हो । उनकी रचनायें चाहे वो साहित्यिक कवितायेँ हों या हिंदी फिल्मों में लिखे गए गीत सभी ऐसे प्रज्जवलित दीपों की तरह हैं जिनकी रौशनी की झड़ी में गलियों में फैला तिमिर राह भटक गया है। उनकी अन्य कविताओं में “अब तो मजहब कोई, ऐसा भी चलाया जाए जिसमें इंसान को, इंसान बनाया जाए”, “जितना कम सामान रहेगा उतना सफ़र आसान रहेगा”, “तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!”, “दिए से मिटेगा न मन का अँधेरा,धरा को उठाओ गगन को झुकाओ” आदि विशेष रूप से मील का पत्थर मानी जाती हैं जो कि समाज के लिए मार्गदर्शक हैं। नीरज की एक बहुत ही प्रसिद्द रचना जिसने हिंदी फिल्म जगत में बहुत ही विशेष स्थान प्राप्त किया “कारवां गुजर गया , गुबार देखते रहे” जिसे ‘नयी उमर की नयी फसल’ नाम की फिल्म में मोहम्मद रफ़ी ने गाया था ।

किशोर कुमार द्वारा गाया गया ‘छुपा रुस्तम’ फिल्म का ये गाना उनकी लेखनी का एक अलग रूप दर्शाता है।

किशोर का ही गाया हुआ ‘गैम्बलर’ फिल्म का एक और गीत जो कि पूरी तरह से कविता का ही आनंद देता है।

“प्रेम पुजारी” फिल्म का बहुत ही रोमांटिक गीत जिसने प्रेम को अलग मायने दिए।

‘ए भाई जरा देख के चलो’ एक ऐसा गीत जो न की सिर्फ गीत है, बल्कि मानो पूरा जीवन दर्शन ही है ।

इसके अतिरिक्त शर्मीली,पहचान,तेरे मेरे सपने,चा चा चा , गुनाह आदि फिल्मों के गीतों ने पूरे फिल्म जगत में अपनी प्रसिद्धि का परचम लहराया है।

नीरज ने ज्यादातर शंकर जयकिशन और एस. डी.बर्मन के लिए गाने लिखे। इन दोनों की मृत्यु के बाद बहुत ही ग़मगीन होकर उन्होंने फिल्मो से खुद को अलग कर लिया ।

आज उनके जन्मदिन पर हम उनके योगदान के लिये उनका आभार प्रकट करते हुए उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।

1 Comment

  1. Sujay Bhattacharya

    July 22, 2018 at 7:57 pm

    Very few could use Hindi & Urdu so melodiously like GOPAL DAS NEERAJ. His collaboration with SD Burman-Kishore Kumar was phenomenal, immortal. Senior Burman was very careful understanding Neeraj’s lyrics. Their songs would fit the situation so well that it’s not only easy to remember them, but the scenes too. There will be nobody to offer us another खिलते हैं गुल यहाँ (शर्मिली), दिल आज शायर हैं (गैम्बलर) or, फूलों के रंग से (प्रेम पुजारी) :
    https://www.youtube.com/watch?v=Jj0iNEPi1J4
    https://www.youtube.com/watch?v=HzJA24hK_aM
    https://www.youtube.com/watch?v=QfsIBf_6Dl0

    May GOD give you eternal rest and peace, Sir.

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